प्रकृति प्रकोप
मनुष्य विश्ववसुधा का नन्हा शिशु है, जो मात्रा पचास हजार साल पहले इस जगत में आया। सबसे छोटा होने के कारण प्रकृति उसकी उच्छृंखलताओं को भी सहन करती है, शायद यह मानकर कि वह नटखट है। छोटा होने के कारण उसकी शरारतों को सहन कर लेना चाहिए अन्यथा अपने उत्पातों और उच्छृंखलताओं के कारण पृथ्वी से कई जीवजातियाँ लुप्त हो गई हैं। प्रकृति प्रकोप ने उन्हें अपना अस्तित्व समेट लेने के लिए बाध्य कर दिया।
Man is a small child of Vishwavasudha, who came into this world about fifty thousand years ago. Being the youngest, nature tolerates even his antics, perhaps believing that he is naughty. Being small, his mischiefs should be tolerated, otherwise many species have become extinct from the earth due to his mischief and disorderliness. Nature's wrath forced them to reconcile their existence.
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सांस्कृतिक मूल्यों से दूर युवा पीढी आज युवा पीढी अपने सांस्कृतिक मूल्यों से दूर हो गई है। आए दिन नए-नए गुरुओं का डंका बज रहा है। आज अगर हम अपनी पीढी को भौतिकता की चकाचौंध में खोते हुए नहीं देखना चाहते, तो हमें महर्षि दयानन्द के बताए मार्ग पर चलना होगा। देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। अज्ञान, अन्याय और अभाव को दूर करने में हम असमर्थ रहे हैं। अज्ञान से लड़ने वाले...