शिक्षा का अर्थ
व्यावहारिक ज्ञान बालक के जीवन की हितकारी बना देता है। शिक्षा का अर्थ मात्र पुस्तकीय ज्ञान नहीं है अथवा परीक्षा पास करके उपाधिकारी बन जाना नहीं। यों पुस्तकीय ज्ञान के लिए स्वाध्याय करना जीवन के लिए आवश्यक है। परीक्षा उत्तीर्ण भी करनी चाहिए, पर यही पर्याप्त नहीं है। यदि इस ज्ञान के साथ अनुभवीय ज्ञान का योग हो जाता है तो ज्ञान के दोनों पक्ष-सैद्धांतिक और व्यावहारिक समन्वित होकर जीवन को प्रशस्त बना देते हैं। जो बालक ब्रम्हांडरूपी विश्वविद्यालय का अध्ययन सूक्ष्मदर्शिता के साथ नहीं कर पाता है, तो उसकी विद्यालयी शिक्षा अधूरी ही रहेगी।
Practical knowledge makes the life of the child beneficial. Education does not mean mere bookish knowledge or becoming a degree after passing the examination. Thus self-study for bookish knowledge is essential for life. You should also pass the exam, but that is not enough. If experiential knowledge is combined with this knowledge, then both the aspects of knowledge-theoretical and practical become integrated and make life expansive. The child who is not able to study the University of the Universe with a subtle vision, then his schooling will remain incomplete.
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सांस्कृतिक मूल्यों से दूर युवा पीढी आज युवा पीढी अपने सांस्कृतिक मूल्यों से दूर हो गई है। आए दिन नए-नए गुरुओं का डंका बज रहा है। आज अगर हम अपनी पीढी को भौतिकता की चकाचौंध में खोते हुए नहीं देखना चाहते, तो हमें महर्षि दयानन्द के बताए मार्ग पर चलना होगा। देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। अज्ञान, अन्याय और अभाव को दूर करने में हम असमर्थ रहे हैं। अज्ञान से लड़ने वाले...