योजनाएँ
कोई व्यक्ति किसी शुभ-सामाजिक कार्य में लगा हुआ तनिक उसके उस गुण व प्रयास की प्रशंसा कर दी जाए तो उसमें दो गुनी-चौगुनी उमंग संचारित हो जाती है और वह उस कार्य को और अधिक उत्साह से करना आरम्भ करता है। प्रशंसा का चमत्कार है। कितने ही व्यक्ति के दिलों में बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनती और क्रियान्वित करने की इच्छा जाग्रत होती रहती है, पर प्रोत्साहन के अभाव में उनकी वह योजनाएँ धरी की धरी रह जाती है। क्रियान्वित नहीं हो पातीं अथवा यदि कार्य रूप में परिणत होती भी हैं तो वह उत्साह जाग्रत नहीं हो पता, जो होना चाहिए। देखा गया है कि ऐसे में यदि उनकी थोड़ी सराहना कर दी जाए तो फिर उनमें उमंगें हिलोरें लेने लगती हैं और वे कार्य में दत्तचित होकर जुट पड़ते हैं।
A person who is engaged in some auspicious social work, if that quality and effort of his is praised, then two-fold enthusiasm gets transmitted in him and he starts doing that work with more enthusiasm. Praise is a miracle. Big plans are made in the hearts of many people and the desire to implement them keeps on awakening, but due to lack of encouragement, those plans remain on hold. It is not implemented or even if it is converted into action, then that enthusiasm does not awaken, which should happen. It has been seen that in such a situation, if they are appreciated a little, then their enthusiasm starts rising and they get involved in the work.
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सांस्कृतिक मूल्यों से दूर युवा पीढी आज युवा पीढी अपने सांस्कृतिक मूल्यों से दूर हो गई है। आए दिन नए-नए गुरुओं का डंका बज रहा है। आज अगर हम अपनी पीढी को भौतिकता की चकाचौंध में खोते हुए नहीं देखना चाहते, तो हमें महर्षि दयानन्द के बताए मार्ग पर चलना होगा। देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। अज्ञान, अन्याय और अभाव को दूर करने में हम असमर्थ रहे हैं। अज्ञान से लड़ने वाले...